मंजिल सामने है पर सारा ज़माना घूमते हैं, उन्हें देखने का कोई बहाना ढूंढ़ते हैं, उनके दिल को छू जाए वो लफ्ज हैं हमारे पास, पर अंदाज-ए-बयां ज़रा शायराना ढूंढ़ते हैं।। -- Chetan Yadav
गुज़ारिश है आपसे रोज़ मिलने आया करो, यूं खफा होकर हमें न तरसाया करो। हमारे दर्द की कोई परवाह भी नहीं हमें पर, हालात-ए-जुदाई में खुद को न तड़पाया करो।। -- written in 2006 by Chetan Yadav
बंद झरोखों से खुला आसमान देखा है, आज फिर उस शख्स को मैंने हैरान देखा है। कर रहे थे इंतजार मुद्दतों से जिसका, आज हमारे इंतजार में उसे परेशान देखा है।। -- Chetan Yadav